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फ़ारसी कलाम
कि बूद हव्वा कुदाम आदम ख़बर ज़े राज़े कि हस्त दारममनम कि रूही ब-तन दमीदम मनम मोहम्मद मनम मोहम्मद
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
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फ़ारसी कलाम
ऐ का'बः तलब चंद कुनी क़त-ए’-बयाबाँचूँ काब:-ए-उ’श्शाक़ बुवद रू-ए-मोहम्मद
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दिला ख़ाक-ए-रह-ए-कू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौ
बक्कन ख़ाली मसाम अज़ बोए गुल-हा-ए-जहाँ ऐ दिलबया दिल-दादः-ए-बू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौ
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
जब तू ने दिखाया रू-ए-हसीं अर्वाह-ए-जहाँ मिरआत बनींमौजूद हुए ये मा-ओ-शुमा ऐ नूर-ए-मोहम्मद सल्लल्लाह
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी कलाम
दर हिज्र-ए-तू सोज़ाँ दिलम पार: जिगर अज़ रंज-ओ-ग़मसद दाग़ सीनः अज़ अलम वज़ चश्म दरियाए रवाँ
अहमद रज़ा ख़ाँ
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
साखी
सूक्ष्म का अंग - बिन पाँवन की राह है बिन बस्ती का देस
बिन पाँवन की राह है बिन बस्ती का देसबिना पिंड का पुरूष है कहै 'कबीर' सँदेस