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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मक़ाम-ए-अम्न-ओ-मय-बे-ग़िश-ओ-रफ़ीक़-ए-शफ़ीक़
जहान-ओ-कार-ए-जहाँ जुम्लः हेच दर हेचस्तहज़ार बार मन ईं नुक्तः कर्द:अम तहक़ीक़
हाफ़िज़
ग़ज़ल
मोहम्मद अकबर वारसी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़ाहिरन दर सर्खस़ गुफ़्तः-शुदः
चे-गून: मर्द ब-तहक़ीक़ रू-ए-ख़ूनीं ब-नुमायदकज़ाँ तहक़ीक़-हा हाले तू ला-याबी-ओ-लम बीनी
हकीम सनाई
नज़्म
सी-हर्फ़ी
काफ़ कलाम पर कल कामिल कुन कलिमा सिमरन करकुफ़्र किब्र का छोड़ पिचानो करीम पर मयर
शाह तुराब अली दकनी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ता मो'तकिफ़-ए-राह-ए-ख़राबात न-गर्दी
मोहकम न-शवद दस्त-ए-तु दर दामन-ए-तहक़ीक़ता सोख़्तः-ए-राह-ए-मलामात न-गर्दी
हकीम सनाई
फ़ारसी कलाम
नुक्त:-ए-तहक़ीक़ ब-शिनो अज़ नियाज़-ए-बे-नियाज़कीं हम: नक़्श-ए-दो-आ’लम नीस्त इल्ला नक़्श-बंद
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - चे ख़्वाहद मर्द मा'नी जाँ इबारत
गज़ाफ़ ऐ दोस्त नायद ज़े-अहल-ए-तहक़ीक़मर ईं राँ कश्फ़ याबद या कि तस्दीक़
मह्मूद शबिस्तरी
ग़ज़ल
अरे दिल तुझ कूँ बैतुल्लाह कहते आरिफाँ सारेतो पस तहक़ीक़ तेरे मैं चतुर्भुज का गुज़र है रे
शाह तुराब अली दकनी
पद
वहदत से आ कसरत अंदर देखो तो क्या तफ़रीक़ हुआ
इस्लाम में मोमिन कहलाया आ कुफ़्र में वो ज़िंदीक़ हुआहै यार मेरा हर शै अंदर 'दिलदार' हमें तहक़ीक़ हुआ
संत कवि दिलदार
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-ईसा पैग़म्बर अलैहिस-सलाम
ऐब-ए-कसाँ म-निगर-ओ-एहसान-ए-ख़्वेशदीद: फ़रव कुन ब-गरेबान-ए-ख़्वेश
निज़ामी गंजवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़ुल्फ़ आशुफ़्तः-ओ-ख़ूए-कर्दः-ओ-ख़ंदँ-लब-ओ-मस्त
ज़ुल्फ़ आशुफ़्तः-ओ-ख़ूए-कर्दः-ओ-ख़ंदँ-लब-ओ-मस्तपैरहन चाक-ओ-ग़ज़ल-ख़्वान-ओ-सुराही दर दस्त
हाफ़िज़
ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इ'श्क़-बाज़ी-ओ-जवानी-ओ-शराब-ए-ला'ल-फ़ाम
इ'श्क़-बाज़ी-ओ-जवानी-ओ-शराब-ए-ला'ल-फ़ाममजलिस-ए-उंस-ओ-हरीफ़-ए-हमदम-ओ-शुर्ब-ए-मुदाम