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फ़ारसी कलाम
अहद रा सूरत-ए-मक़सूद अहमद बूद अहमद बूदन-बूद अज़ हक़ निशाँ वर बूद अहमद बूद अहमद बूद
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी कलाम
जलव:-ए-नूरे नुमूद-ओ-नूर-ए-अहमद नाम साख़्तबस बुवद अहमद अहद अज़ रू-ए-ईं गुफ़्तार-ए-मा
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ मोइनुद्दीन
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ मोइनुद्दीनफ़ख़्र-ए-कौन-ओ-मकाँ मोइनुद्दीन
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
मनक़बत-ना'त
ज़बाँ वो पाक है जिस ने पढ़ा कलमः मोहम्मद कावो दिल रौशन है जिस में जल्वः हो अनवार अहमद का
शाह अकबर दानापुरी
गूजरी सूफ़ी काव्य
लोकाँ धन शह एक वजूद हैं
लोकाँ धन शह एक वजूद हैंफोकट मुँह हम कोई न बोलो
शाह अली जीव गामधनी
ग़ज़ल
नूरुन-मिन-नूरिल्लाह से अहद अहमद का रूप दिखावत हैकहूँ मीम की चादर ओढ़त है कहूँ आप में आप समावत है
मोहम्मद अकबर वारसी
गूजरी सूफ़ी काव्य
उन्हों की सेज 'शह' बस बस
उन्हों की सेज 'शह' बस बसहसावे पिउ उन हस हस,
शाह अली जीव गामधनी
बसंत
ख़्वाजा मुईनुद्दीन के घर आज ढाती है बसंतक्या बन बना और सुब्ह सजा मुजरे को आती है बसंत
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
बसंत
ख़्वाजः मोइनुद्दीन के घर आज धाती है बसंतक्या बन बना और सज सजा मुजरे को आती है बसंत