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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - विसाल-ए-मुमकिन-ओ-वाजिब बहम चीस्त
ब-कुल्लीयत रिहाई याबी अज़ ख़्वेशग़नी गर्दी ब-हक़ ऐ मर्द-ए-दरवेश
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - चे जुज़्व अस्त आँ-कि ओ अज़ कुल फ़ज़ून-अस्त
हम: जुफ़्ते शवद अज़ जुफ़्त-ए-ख़ुद ताक़चू रूह अज़ तन ब-कुल्लीयत जुदा शुद
मह्मूद शबिस्तरी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हर शब मनम ज़े-हिज्र-परेशाँ-ओ-दीदाः-तर
तू फ़ित्न:-ए-ज़मानः शुदी वर्नः रोज़गारबूद:स्त पेश अज़ीं क़द्रे आर्मीदा-तर
अमीर ख़ुसरौ
भजन
हर रंग माहिर वारिस प्यारा
हर रंग माहिर वारिस प्याराआपई मस्जिद आपई मुल्ला आपई बाँग पुकारा
नादिम शाह वारसी
पद
रचना रहस्य - गुरु प्यारे चरन रचना की जान
'राधास्वामी' मेहर करें जब अपनी निज स्वरूप बट में दरसान
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
विनय - रंगीले रंग देओ चुनर हमारी
'राधास्वामी' प्यारे मेहर करो अब जल्दी लेव सुधारी
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
भक्ति-स्वरूप - मन मन धुन से भक्ति करो री
'राधास्वामी' मेहर करें अब अपनी भव सागर से सहज तरो री
संत सालिगराम रायबहादुर
ग़ज़ल
मेहर-ए-ख़ूबाँ ख़ाना-अफ़रोज़-ए-दिल-अफ़सुर्दः हैशो'ला आब-ए-ज़ि़ंदगानी-ए-चराग़-ए-मुर्दः है
बेदार मीर मोहम्मद
पद
अपनी बात - सतगुरु पूरे परम उदारा दया दृष्टि से मोहिं निहारा
सुमिरन भजन रसीला लागा सोता मन धुन सुन कर जागामेहर हुई सुरत नभ पर दौड़ी त्रिकुटी जा गुर चरनन जोड़ी
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
कठिन साधना-पथ - गुरु प्यारे का मारग झीना कोह गुरुमुख जाय
मेहर हुई सुर्त अधर सिधारी 'राधास्वामी' हिया निज घर पहुँचाय लिया गोद बिठाय
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
अपनी विरह-कथा - मेरे उठी कलेजे पीर घनी
अब तो मेहर करो 'राधास्वामी' चरनन की रहूँ सदा रिनी
संत सालिगराम रायबहादुर
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
फ़ारसी कलाम
ऐ ज़े दर्द-ए-इ’श्क़-ए-तू बीमार-ए-जाँ दारम हनूज़दाश्तम मेहर-ए-तू दर दिल हम-चुनाँ दारम हनूज़