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ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
बुतान-ए-हश्र ताज़ा रँग भर दीं दाग़-ए-इस्याँ मेंमज़ा दे जाए मेरा दाग़-ए-इस्याँ मेरे दामाँ में
रियाज़ ख़ैराबादी
ग़ज़ल
ले के दिल उस शोख़ ने इक दाग़ सीने पर दियाजो लिया उस का एवज़ उस से मुझे बेहतर दिया
अहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - विसाल-ए-मुमकिन-ओ-वाजिब बहम चीस्त
ब-कुल्लीयत रिहाई याबी अज़ ख़्वेशग़नी गर्दी ब-हक़ ऐ मर्द-ए-दरवेश
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - चे जुज़्व अस्त आँ-कि ओ अज़ कुल फ़ज़ून-अस्त
हम: जुफ़्ते शवद अज़ जुफ़्त-ए-ख़ुद ताक़चू रूह अज़ तन ब-कुल्लीयत जुदा शुद
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी कलाम
दर हिज्र-ए-तू सोज़ाँ दिलम पार: जिगर अज़ रंज-ओ-ग़मसद दाग़ सीनः अज़ अलम वज़ चश्म दरियाए रवाँ
अहमद रज़ा ख़ाँ
काफी
ऐ हुस्न-ए-हक़ीक़ी नूर-ए-अज़ल
तैनूँ लाल दाग़ ते बाग़ कहूँगुलज़ार कहूँ बुस्तान कहूँ
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
ग़ज़ल
कामिल शत्तारी
ग़ज़ल
सोज़ाँ है दाग़-ए-हिज्र मिरे दिल में मिस्ल-ए-शम्अ'ऐ याद-ए-वस्ल-ए-यार बुझा दे उन्हों के तईं
बेदार मीर मोहम्मद
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मी-कुनी तू ता'न बर किरदार-ए-मा
दाग़-ए-वहदत दर जबीन-ए-ज़ाहिदाँख़त्त-ए-वहदत क़श्क़ः-ए-कुफ़्फ़ार-ए-मा
दारा शिकोह
ग़ज़ल
फ़रोग़-ए-हसरत-ओ-ग़म से जिगर में दाग़ रखता हूँमिरे गुलशन की ज़ीनत दौर-ए-हंगाम-ए-ख़िज़ाँ तक है
मीर वली वारिसी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गुफ़्तार दर बाज़ जुस्तन-ए-दिल
नर्गिस-ओ-गुल रा चे परस्ती ब-बाग़ऐ ज़े-तू हम-नर्गिस-ओ-हम-गुल ब-दाग़