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क़िस्सा
क़िस्सा चहार दर्वेश
आख़िर यह तज्वीज़ ठहरी कि नवाब वज़ीर अक़्लमन्द और होशियार है, वह बादशाह को नज़दीक से
अमीर ख़ुसरौ
फ़ारसी कलाम
चूँ बंदा रा अज़ ख़्वाजः बुवद चश्म-ए-नेकोएमा बन्द:-ऐम ख़्वाजः तूई कार-ए-मा ब-साज़
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-ईसा पैग़म्बर अलैहिस-सलाम
ऐब-ए-कसाँ म-निगर-ओ-एहसान-ए-ख़्वेशदीद: फ़रव कुन ब-गरेबान-ए-ख़्वेश
निज़ामी गंजवी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-मोबिद-ए-हिन्दु कि मा'रिफ़त याफ़्त
कोश कजीं ख़्वाजः ग़ुलामी रहीता चू 'निज़ामी' ज़े-निज़ामी रही
निज़ामी गंजवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हर-नफ़स आवाज़:-ए-इश्क़ मी-रसद अज़ चप-ओ-रास्त
मा ब-फ़लक बूद:-एम यार-ए-मलक बूद:-एमबाज़ हमाँ जा रवेम ख़्वाजा कि आँ शहर-ए-मास्त
मौलाना रूमी
नज़्म
हाज़िर हुज़ूर में शो'रा-ए-दयार हैं
हर एक उन में फ़र्द है हर एक इंतिख़ाबहर एक बे-मिसाल है हर एक ला-जवाब
रियाज़ फरोग़ वारसी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ईं क़सीदः हम नतीजः-ए-आँ-ख़ाक-ए-पाक सर्खस़ अस्त
जाँ ब-दीन-ओ-अक़्ल देह ता पाक मानद बहर आँकविज़्र वर्ज़द जान चू ऊ रा अक़ल-ओ-दीं न-बुवद वज़ीर
हकीम सनाई
बसंत
नाज़-ओ-अदा से झूमना ख़्वाजा की चौखट चूमनादेखो 'नियाज़' इस रंग में कैसी सुहाती है बसंत
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गुफ़्तम कियम दहाँ-ओ-लबत कामराँ कुनंद
गुफ़्तम कि ख़्वाजः के ब-सर-ए-हज्लः मी-रवदगुफ़्त आँ ज़माँ कि मुश्तरी-ओ-मह क़िराँ कुनंद
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
राज़े ज़े-अज़ल अंदर दिल-ए-उश्शाक़ निहान-अस्त
गोयन्द अज़ींं मैदान आँ रा कि दर आमदके ख़्वाजः दिल-ओ-रूह-ओ-रवानत ज़े-रवानस्त
हकीम सनाई
नज़्म
ख़्वाजा-जी
रहना है हर हाल में राज़ी ख़्वाजा संग है जीवन-बाज़ीख़्वाजा-जी की जीत हमेशा मुझ पापन की मातें हैं
वासिफ़ अली वासिफ़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
कनूँ कि दर चमन आमद गुल अज़ अ’दम ब-वजूद
बयार जाम-ए-लबालब ब-याद-ए-आसिफ़-ए-अ'ह्दवज़ीर-ए-मुल्क-ए-सुलैमाँ इ'माद-ए-दीं महमूद
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इशारत ब-ज़ुन्नार - निशान-ए-ख़िदमत आमद अक़्द-ए-जुन्नार
शुदः अज़ जेहल पेशआहँग-ए-आँ-ख़रचू ख़्वाजः क़िस्स:-ए-आख़िर ज़े-मा कर्द