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मनक़बत-ना'त
शाहिद-ए-हक़ आ’रिफ़-ए-फ़ख़्र-ए-ज़मन की बज़्म हैहोशियार ऐ नुत्क़ ये 'ख़्वाजा-हसन' की बज़्म है
अज़ीज़ वारसी देहलवी
ग़ज़ल
तस्वीर की हाजत नहीं दिल के निगारिस्तान मेंफ़ारिग़ है बज़्म-ए-मा'नवी अज़ ग़लग़ला-ए-नफ़ाअ'-ओ-ज़रर
क़ादिर बाख़्श बेदिल
फ़ारसी कलाम
न-बाशद ख़ाली अज़ तू हेच-बज़्म-ओ-हेच-मय-ख़ानःज़े-तुस्त आबादी-ए-आ'लम-जहाँ बे-तुस्त वीरानः
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
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फ़ारसी कलाम
हर कू न-याफ़्त जुरअःए’ अज़ जाम-ए-वस्ल-ए-तूज़ीं बज़्म-गाह तिश्ना-जिगर रफ़्त-ओ-ख़ुश्क-लब
मुल्ला जामी
ग़ज़ल
तिरी बज़्म में नहीं है कोई फ़र्क़ दैर-ओ-का'बामिरी रूह भी न जाए तिरी बज़्म से निकल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
ग़ज़ल
सीमाब अकबराबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इ'श्क़-बाज़ी-ओ-जवानी-ओ-शराब-ए-ला'ल-फ़ाम
बज़्म-गाहे दिल-नशीं चूँ क़स्र-ए-फ़िरदौस-ए-बरींगुलशने पैरामनश चूँ रौज़ःए-दारुस्सलाम
हाफ़िज़
ग़ज़ल
है उस से रौशनी-ए-बज़्म तुझ से रौनक़-ए-आलमतिरे रुख़ को नहीं ऐ माह निस्बत शम-ए-महफ़िल से