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फ़ारसी कलाम
गर ज़े-सहरा-ए-मदीन: बू-ए-आँ सय्यद वज़दगर्द-ए-आँ-सहरा दरून-ए-दीद:-ओ-दिल जा कुनम
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ए दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जिलानी
अमीरी दस्त-गीरी ग़ौस-ए-आज़म क़ुतुब-ए-रब्बानीहबीब-ए-सय्यद-ए-आलम ज़हे महबूब-ए-सुबहानी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी कलाम
दीवान:-ए-हुस्न-ए-वयम हाज़ा जुनून-उल-आशिक़ीनमस्त अज़ शराब-ए-हैरतम हाज़ा जुनून-उल-आशिक़ीन
औहदी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ कि तू शम-ए’-फ़रोज़ाँ सूरत-ए-परवान:अम
ऐ कि तू शम-ए'-फ़रोज़ाँ सूरत-ए-परवान:अमजान-ओ-दिल क़ुर्बां कुनम मन आ'शिक़-ओ-दीवाना-अम
अब्दुलहादी काविश
फ़ारसी कलाम
मन ज़े सौदा-ए-मोहब्बत वालिह-ओ-दीवान:-अमआ’शिक़-ए-शोरीद:सर महर-ए-रुख़-ए-जानान:अम
अहमद शाहजहाँपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ हम-नफ़साँ यक नफ़सम बाज़ गुज़ारेद
ऐ हम-नफ़साँ यक नफ़सम बाज़ गुज़ारेददस्त अज़ मन-ए-दीवान:-ए-सर-गश्तः ब-दारेद
अमीर ख़ुसरौ
दोहा
जम जनि बौरा होई तू, कत घेरत माहि आन।
जम जनि बौरा होई तू, कत घेरत माहि आन।हौ तो तबहीं दे चुकी, प्रान नाथ को प्रान।।
सय्यद बरकतुल्ला
फ़ारसी कलाम
मन ज़े-सौदा-ए-मोहब्बत वालिह-ओ-दीवान:-अमवह्शतम बिनिगर तू अज़ हाल-ए-परीशानम म-पुर्स
अहमद शाहजहाँपुरी
कवित्त
एरे! ऋतुराज धन्य रावरो समाज
एरे! ऋतुराज धन्य रावरो समाजसाज सुखमा अनंत दिग अंत लो बिहारी है।