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मनक़बत-ना'त
उमर वारसी
दकनी सूफ़ी काव्य
हालात-ए-विलादत आँ-हज़रत
कते ऐ रहमत-ए-आलम की मादरख़लफ़ तुम कू मुबारक शाह-ए-सरवर
करीमुद्दीन सरमस्त
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पद
चरन चलौ श्रीवृन्दावन मग जहँ मुनि अलि पिक कीर
चरन चलौ श्रीवृन्दावन मग जहँ मुनि अलि पिक कीरकर तुम करौ करम कृष्णार्पण अहँकार तजि धीर
जुगल प्रिया
गूजरी सूफ़ी काव्य
उन्हों की सेज 'शह' बस बस
उन्हों की सेज 'शह' बस बसहसावे पिउ उन हस हस,
शाह अली जीव गामधनी
गूजरी सूफ़ी काव्य
लोकाँ धन शह एक वजूद हैं
लोकाँ धन शह एक वजूद हैंफोकट मुँह हम कोई न बोलो
शाह अली जीव गामधनी
फ़ारसी कलाम
पीर-ए-मा हस्त असदुल्लाह अ’ली शाह-ए-नजफ़ऐ’न-ए-तस्वीर-ए-जमाल-ए-अज़ली शाह-ए-नजफ़
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
नज़्म
मीलाद-उन-नबी
मुबारक अहल-ए-ईमाँ को कि ख़त्म-उल-मुरसलींं आएमुबारक सद-मुबारक बानी-ए-दीन-ए-मुबीं आए
वासिफ़ अली वासिफ़
गूजरी सूफ़ी काव्य
फूल और माली
तूँ घर घर 'शह' हो आवे हवा लैल कलियों रावेजग तेरे सुहाग खुंदावे