Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
noImage

Ramrahas Das

Saakhi of Ramrahas Das

प्रथमहि शब्द सुधारिके, टारे त्रयविध जाल।

झांई मेटत संधिको, ऐसो शरण दयाल ।।

द्वन्द्वज सत्य असत्य को, जहां नहीं कुछ लेश

सो प्रकाशक गुरु परख है, मेटत सकल कलेश ।।

राम रहस साहब शरण, अभय अशंक उदोत।

आवागमन की गम नहीं, भोर सांझ नहिं होत।।

Recitation

Speak Now