जिस क़दर दिल की सफ़ाई ज़्यादा होती जाती है, उसी क़दर नफ़्स पर क़ाबू बढ़ता जाता है।
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कोई शख़्स अगर आसमान में उड़ता हो और साथ ही ज़र्रे के बराबर भी शरीअत के ख़िलाफ़ काम करता हो, तो उस पर यक़ीन न करो। उस की करामत से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
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वज्द में आदमी बे-होश नहीं होता बल्कि बे-ख़ुद हो जाता है, अगर बे-होश हो गया तो लुत्फ़ चला गया।
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यार की गालियाँ मिठाई हैं, वही जानेगा जिसने खाई हों।
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अगर कोई कुछ पेश करे, तो चाहिए कि उसे ख़ुदा की तरफ़ से समझकर ले ले, वापस न करे।
अगर कोई कुछ पेश करे, तो चाहिए कि उसे ख़ुदा की तरफ़ से समझकर ले ले, वापस न करे।
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