Sufinama
noImage

Mahatma Kshemdas Ji

Dohe of Mahatma Kshemdas Ji

साध वेद सब टेरि हैं, सुनैन विषिया प्रांन।।

पिंड पाप कै वस पडै, कहि कहि हारे ग्यांन।।

काहू पूरब पुन्य करि, तैं पाई नर देह।।

कै महरवान हो मौजदी, जन्म सुफल कर लेह।।

अब कहूँ गोद कहूँ पालनै, कहूँ हासौ कहूँ रोज।।

गिरयो पडयो घुटने चल्यो, नहीं ग्यांन को खोज।।

साबधान होय चुप रहे, चितयौ है चहुँ और।।

वाट वीचि ही ले गए, बसत साह की चोर।।

पंचकै तन काहू रच्यो, बच्यो अगन मंझार।।

जब इनमें कहू कौन था, जो अब कहै हमार।।

दस महीनां गर्भवास में, तहां रह्यौ मुख मूंदि।।

जहां तात मात की गम नहीं, वहां राखनहारा कौन।।

नख चख सौंज बनाय करि, प्रभु आन्यो मुक्ती ठौर।।

निपजी में साझी घणा, धनी भए तब ओर।।

Recitation

Speak Now