Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

1873 -1956

शायर, संपादक, आज़ादी के संघर्ष में हिस्सा लेने वाले एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता

1976

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर और हमीद वैशालवी के शागिर्द

1902 -1978

मा’रूफ़ शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और सूफ़ी

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