Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

1922 -1988

जिगर मुरादाबादी के शागिर्द और मुम्ताज़ शाइ’र

-1986

हिंद-ओ-पाक के मक़बूल-ए-ज़माना शाइ’र

1777 -1848

ख़ानक़ाह मुजीबिया, फुलवारी शरीफ़ के सज्जादा-नशीं और बिहार के मुमताज़ फ़ारसी-गो शाइ’र

1928 -2001

ख़ानक़ाह इ’मादिया क़लंदरिया, मंगल तालाब के सज्जादा-नशीन

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और साहिब-ए-दीवान शाइ’र

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