Sufinama

कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1965

प्रमुख पाकिस्तानी शोधकर्ता, लेखक और कवि और पंजाब विश्वविद्यालय (लाहौर) के अध्यक्ष

1900 -1956

प्रतिष्ठित शायर, अपने शेर " मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़सूस होते हैं " के लिए मशहूर

1856 -1927

हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता

1933 -2011

मा’रूफ़ मुसन्निफ़, अदीब, फ़िल्म-गीतकार और शाइ’र

1897 -1970

रामायण, भगवत गीता, और दूसरे बहुत से मज़हबी व ग़ैर मज़हबी पाठों का छन्दोबद्ध व गयात्मक अनुवाद करने के लिए प्रसिद्ध

1851 -1923

अ’ज़ीमाबाद के मशहूर रईस और वहीद इलाहाबादी के शागिर्द-ए-रशीद

1906 -1978

मैगज़ीन फ़ारान के मुदीर-ए-आ’ला और पाकिस्तान की मशहूर इ’ल्मी-ओ-अदबी शख़्सियत

1797 -1869

महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता

1699 -1781

दिल्ली के मा’रूफ़ नक़्शबंदी मुजद्ददी बुज़ुर्ग और मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र

1722 -1810

उर्दू के पहले सबसे बड़े शायर जिन्हें ' ख़ुदा-ए-सुख़न, (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है.

1732 -1793

ख़्वाजा फ़ख़्रुद्दीन चिश्ती देहलवी के मुरीद और गुम-गश्ता सूफ़ी शाइ’र

1717 -1786

प्रमुख मर्सिया-निगार। मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

1800 -1852

ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर ' तुम मेरे पास होते हो गोया/ जब कोई दूसरा नही होता ' पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी।

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